सहजयोग में बोलना, चिल्लाना, भाषण नहीं, - आंतरिक शांति, स्थिरता व प्रेम की क्षमता महत्वपूर्ण है
सहजयोगी तो एक अत्यन्त गहन व्यक्तित्व का व्यक्ति होता है। ये कहना मात्र काफी नहीं कि "मैं सहजयोगी हूँ" परन्तु एक अत्यन्त गहन व्यक्तित्व व्यक्ति और जिसके व्यक्तित्व की महानता अन्य लोग, उसके विवेक द्वारा समझें। आप कितना बोलते हैं, कितना चिल्लाते हैं, कितना भाषण देते हैं इसका कोई महत्व नहीं। आपकी आन्तरिक शान्ति, स्थिरता और अन्य लोगों को प्रेम करने की क्षमता ही महत्वपूर्ण है। केवल इन्हीं से ही लोग निर्णय कर पाते हैं कि वास्तव में आपको श्री माताजी का आशीर्वाद प्राप्त है या नहीं। तो यह चीज अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
पहले स्वयं पर नियन्त्रण करें। सर्वप्रथम स्वयं को पहचानें। अन्य लोगों पर नियन्त्रण करने का क्या अर्थ है। जो लोग स्वयं पर नियन्त्रण करना नहीं जानते वो सदैव दुःखी होते हैं, कष्टों से घिरे रहते हैं क्योंकि यह तो अनियंत्रित होने की प्रक्रिया है। दूसरों पर यदि आप नियन्त्रण करने का प्रयत्न करते हैं तो इसकी प्रतिक्रिया होती है इसके लिए पूर्णतः अन्तर अवलोकन करना होगा। इसलिए मैं बार-बार कहती रहती हूँ कि अन्तर अवलोकन करें।
परम पूज्य श्री माताजी, नवरात्रि पूजा, 27.10.2002, लाॅस एंजलिस
मेहर जगदीश्वरी निर्मल प्रेम
No comments:
Post a Comment