क्षमा की शक्ति
आज हम श्री शिव याने श्री सदाशिव की पूजा कर रहे है,श्री शिव माने मूर्तिमंत क्षमाशक्ति,उनकी क्षमा की शक्ति इतनी अमाप है की उसके आधार पर आज हम जीवित है,नही तो इस सृष्टि का नाश कब का हो गया होता।
मनुष्य की आज की स्थिति तो आप सब जानते है।उनके पास थोड़ी भी क्षमाशीलता नही है। अच्छा क्या और बुरा क्या यह उन्हें समझ में नही आता।
क्षमाशीलता यह शिवजी का खास गुण है। मनुष्य उनके क्षमाशीलता की कल्पना करने में असमर्थ है। आप के किसी भी गलती को वो तुरन्त क्षमा कर देते है।उनके पास दो शक्तिया है सर्वप्रथम क्षमा की शक्ति दूसरी तरफ संहार की शक्ति।
सर्वप्रथम हमे उनके जैसा क्षमाशील होना चाहिए। छोटे छोटी चीजों पर हमे वादविवाद और कलह नही करना चाहिये। अगर आपने उनके क्षमा की शक्ति की मर्यादा या सीमा को तोडा तो उनकी संहार की शक्ति जागृत होती है।
हृदय से शिवजी का आदर करते हुए अगर आप उनकी आराधना करेंगे तो आपका क्रोध नष्ट होगा।
श्री कृष्ण ने भी यही बताया है की "क्रोध ही मनुष्य का सबसे बड़ा दुर्गुण है" ।
अगर आपके मन में किसी के प्रति क्रोध आये तो पहले खुद को बताये की मेरा क्रोध करना गलत है। अपने स्वभाव का क्रोध पूरी तरह नष्ट होना चाहिए। हम सब संत लोग है।हमे विश्व में शांति की स्थापना करनी है।
हमारा अपने राग पर पूरा नियंत्रण होना चाहिए।आप यहा शांति का आनंद निर्माण करने आये है। आपके यहा क्रोधी और संताप करने वाले लोग होंगे उनसे चार हाथ दूर रहना अच्छा,अगर किसीने कुछ गलती की उसे माफ करना ही अच्छा हैं।
"सहजयोगी को किसी पे क्रोध करने का या उसे सजा देने का थोडा भी अधिकार नही । जो लोग शिवजी की तरह क्षमाशील है वही सच्चे सहजी है। वही असली में पार हुए ऐसा समझना चाहिए।
जबतक मनुष्य को आत्मसाक्षात्कार प्राप्त नही हो जाता तब तक वो खुद को पहचान नही सकता। पशु भी बिना किसी कारण से किसी पे नाराज नही होते।शिवजी उनका संभाल करते है। मनुष्य का यह बहुत बड़ा दुर्गुण है उसकी वजसे उसके अंदर की शिव की शक्ति नष्ट हो रही है। उसकी वजह से हिटलर जैसे लोग समाज में पैदा हो रहे है और समाज नष्ट हो रहा है और देश की स्थिति खराब हो रही है। ऐसे महावीर निर्माण होते रहेंगे लेकिन आप उनका अनुकरण मत कीजिये।
आप सहजयोगी है आप हमेशा क्षमा करते रहिये।
क्षमाशीलता यह सज्जनों का गुण हैं।
इसलिए शिवजीं को देवों का देव महादेव कहते हैं।
आप को ऐसा लगता है की आप दूसरों पर क्रोध करेंगे उन्हें डरायेंगे तो वो आप से डर के आप के काम करेंगे लेकिन उसका क्या फायदा । आप ने कितने लोगोंकों जोड़ा उसे महत्व है आप ने कितने लोगों से वादविवाद किया उसे क्या महत्व है।
सहजयोगी को प्रेम का सागर होना चाहिए।
किसीपर क्रोध करने,उसपर नाराज होना इसको क्या अर्थ हैं। श्री येशु को देखे उन्होंने जिन्होंने उन्हें सुळी पर चढ़ाया उनके लिए भी भगवान से क्षमा मांगी। अपने में लूट,वादविवाद ऐसे अनिष्ठ प्रकार चल रहे है उसमे सहजयोगी को फसना नही चाहिये।
आज के दिन संकल्प करे किसी के लिए भी अपने मन में राग नही रखेंगे। किसी भी परिस्थिति में क्रोध पर संयम रखेंगे,हृदय से श्री शिवजी की पूजा करके उन्हें प्रसन्न करे और उनके गुण आत्मसात करे।
सबको अनंत आशीर्वाद
महाशिव रात्री पूजा 2003
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