Thursday, November 25, 2021

Love is the ultimate aim - use more of heart than the brain - Hindi Article Excerpt

 परम पूज्य श्री माताजी की दिव्य वाणी

मनुष्य हर एक चीज का हल बुद्धि के बल पर करना चाहता है, बुद्धि को इस्तेमाल करने से मनुष्य एकदम शुष्क हो गया है जैसे उसके अंदर का सारा रस ही खतम हो गया है और जब भी कभी कोई आंतरिक बात चल जाती है तो उसके हृदय में कोई कंपन नहीं होता है, उसका हृदय भी काष्ठवत हो जाता है, न जाने आजकल की हवा में कौनसा दोष है कि मनुष्य सिर्फ़ बुद्धि के घोड़े पर ही चलना चाहता है और जो प्रेम का आनंद है उससे अपरिचित रहना चाहता है।

 प्रेम की गाथा जितनी कहूँ तो कम है, प्रेम की गाथा तो ऐसी है कि उसको कहते भी नहीं बनता है, वो बहते ही रहता है, बहते ही रहता है, बहते ही रहता है, जितना बहता है उतना ही आनंद उसमें से झरता है, आप प्रेम का कोई मूल्य क्या ही दे सकते हैं, ये तो मेरी समझ में नहीं आता, यही कि जब आपसे वो टकराता है तो उसके तरंग फिर वापस उठ करके तो बड़ा सा सुन्दर सा चित्र सा बन जाता है, उस सागर पे भी एक चित्र बन जाता है।

अपने प्रति प्रतिष्ठित होकर,अपने को समझ के कि हम एक दीप हैं संसार में, हमें जलाया गया है, हमारे अंदर रोशनी आ गयी है इस रोशनी को बचाना चाहिए, जब तक आप ऐसा नहीं सोचेंगे, सहजयोग में आप उतर नहीं सकते 🧘🏻‍♀️🪔🚩 


 "सेमिनार" 

 30 जनवरी 1980

 मुम्बई

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