दुसरों कि कमीयां गलतीयां सुधारने का आपको अधिकार नही है..आप अपनी तरफ ध्यान दे."...............
जब आप जानते हैं कि आप एक ही " माँ" के बच्चें हैं, आप क्यों कुछ लोगों को नीचा देखते है ?
उनकी कमियां, गलतियां ढुंढते रहते है ?_
क्या आप परिपूर्ण है ?
क्या आप में कोई दोष नहीं है ?
हम केवल व्यापक प्रेमकी बात करते हैं ।
यदि आप के बीच एक दूसरे केलिए कोई प्यार नहीं है, तो किस मानव जाति में यह देखा जाएगा ?
मैं आपको बताना चाहती हूं, कि जो विषैला विचार आप अन्य सहजयोगियों के लिए अपने मन में रख रहैं हैं,उसे साफ करें ।
कुछ सहजयोगियों का हृदय पत्थर की तरह है, बिल्कुल प्यार से रहित, वे व्यंग्यात्मक शब्दों का प्रयोग करते हुए दूसरों के लिए बात कर रहे हैं और दर्शाते हैं कि ," वे महान हैं ।"....
मैंने कई मौकों पर देखा है, लोगों को दूसरों को धक्का या मेरी उपस्थिति में भी दूसरों पर चिल्लाते हुए । विशेष रूप से, जब आप बच्चों पर चिल्लाते हैं, मैं अपने दिल में दर्द महसूस करती हूं ।
कम से कम " सहजयोगियों " का एक दूसरे के लिए गहरा प्यार होना चाहिए ।.................
यदि एक सहजयोगी आपके शहर घर आता है, तो उसका स्वागत करें, उसका घ्यान रखेँ, जैसे कि वह तुम्हारा भाई है । उसकी खुशी आपके घरों को पवित्र कर देगी ।
मैं नहीं समझ सकती कैसे सहजयोगियों के बीच समूह (ग्रुप) हो सकता है, क्योंकि हर पल आपकी हालत में सुधार या गिरावट आ रही है ।
यह जानते हुए कि" समूह (ग्रुप) बनाना किस तरह आपके लिए विनाशकारी है ।
दूसरों के अच्छे गुणों को देखें और उनके प्यार का आनंद लें ।
उनके अवगुण के बारे में चिंता मत करो । उन्हें मुझ पर छोड़ दे....आपको ध्यान में एहसास होगाकि यही, आनंद के फव्वारे (सहस्त्रार) को खोलनें का एकमात्र रास्ता है ।
----H.H.SHRI MATAJI--- सार्वजनीकप्रवचन देहली १९८२
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