वास्तविक ज्ञान को यह मस्तिष्क भी अस्वीकार नहीं कर सकता।
"परमात्मा क्या है?, इसी को जानना ही वास्तविक ज्ञान है।
और अगर, उस परमात्मा का अस्तित्व है, तो आप किस तरह से किसी चीज़ पर अविश्वास कर सकते हैं, कैसे आप किसी चीज़ का विश्लेषण करने की कोशिश कर सकते हैं? यह परमात्मा हैं।
यह सर्वशक्तिमान परमात्मा हैं, जो हर एक चीज़ को जानते हैं, जो हर एक चीज़ का आनंद लेते हैं। आपको कहना चाहिए कि केवल एक वही (परमात्मा) ही ज्ञान हैं, सच्चा ज्ञान हैं, शुद्ध ज्ञान हैं।
यह चक्रों का ही ज्ञान नहीं है, चैतन्य लहरियों का ही ज्ञान नहीं है, कुंडलिनी का ही ज्ञान नहीं है, अपितु यह सर्वशक्तिमान परमात्मा का ज्ञान है।
और परमात्मा का ज्ञान, मानसिक ज्ञान नहीं है।
मैं आपको पुनः बताना चाहती हूँ कि यह ज्ञान आपके हृदय से शुरू होकर आपके मस्तिष्क तक जाता है, यह वह ज्ञान है जो आपको आनंद की अनुभूति से प्राप्त होता है, और आपके मस्तिष्क को ढक लेता है। अतः आपका मस्तिष्क अब इसे (परमात्मा की सच्चाई को) अस्वीकार नहीं कर सकता।"
परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी ।
16 फरवरी 1991
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