Tuesday, February 16, 2021

Journey from finite to infinity can happen only with the help of Kundalini Shakti

 श्री माताजी की दिव्य वाणी 


आदिकाल से हर एक दार्शनिक  (Philosopher) ने एक बात की ओर संकेत किया हुआ था कि हम जो जड़ वस्तु हैं, हमारा मन भी जो जड़ वस्तु है वो सीमित (Finite) है, वो इस सूक्ष्म में कैसे उतरेगा, वो असीम (Infinite) में कैसे उतरेगा, प्रश्न एक छोटा सा है कि हम सब जड़ वस्तु से बने हुए हैं और सीमित हैं, वो परमात्मा अगर असीम है तो उसमें कैसे उतर सकता है, उसे कैसे जान सकता है, गर हम अपने मन से प्रश्न करें परमात्मा को जानने की, तो हम पढेंगे, लिखेंगे, किताबें हमारे सामने खुलती जायेंगी लेकिन हम किस तरह से वहाँ पूछ सकते हैं जो हमारा स्त्रोत है, सारा प्रश्न यहाँ आकर रूक जाता है, सारी समस्या यही एक है कि इस जड़ देह से उस चेतन में कैसे उतरा जायेगा, उस चेतन को इस जड़ता से कैसे जाना जायेगा, इसे कुण्डलिनी से जान सकते हैं, कुण्डलिनी के जागरण के बगैर उस असीम में नहीं पहुँच सकते हैं


"सीमित से असीमित की ओर" 


 "प्रभु के प्रेम का अनुभव" 

 दिसम्बर 1975

 मुम्बई



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