Wednesday, February 10, 2021

LET YOUR SPIRIT RULE

 आप आत्मा के शासन में रहें, सुख-सुविधा को मस्तिष्क पर हावी न होने दें ।


"पश्चिम के कुछ सहजयोगियों को भारत के गांवों में लाने के पीछे मेरी सोच यह थी, कि वे लोग समझें कि आराम ही जीवन का लक्ष्य नहीं है, क्योंकि हमारे पास ऐसे ग्रामीण हैं, जो आत्मसाक्षात्कारी आत्माएं हैं, जिनके पास आराम के ऐसे कोई साधन नहीं हैं, जिन्हें पश्चिमी लोग अत्यंत ज़रूरी मानते हैं, लेकिन ये ग्रामीण बहुत प्रसन्न, संतुष्ट व शांत लोग हैं, और ये बहुत अच्छे योगी हैं । लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप सारी सुख-सुविधाएँ त्याग दें और आप धार्मिक बन जाएं। 

अगर आप इसे नकारने (नेति-नेति) के तरीके से सोचें, तो ये सब एक मानसिक प्रक्रिया है। यह सही तरीका नहीं है। परंतु जब आप भारत में आते हैं, तो आपको समझना होगा कि आराम खोजने की यह आदत आपको छोड़नी होगी। अगर आपको ऐसी कोई एकाध आदत है, तो ठीक है, लेकिन आराम को अपने मस्तिष्क में न बिठाएं ।

 अपनी आत्मा को अपने ऊपर शासन करने दें, न कि इस विचार को कि आपको अमीरी में या आराम से रहना चाहिए। वैसा विचार आपके ऊपर हावी नहीं होना चाहिए।


परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी ।

10 फरवरी 1982



LET YOUR SPIRIT RULE


My idea of bringing some of the Sahaja Yogis from the West to India in the villages of India was to make them understand that comfort is not the goal of life because we have villagers who are realized souls, who do not have any comforts which are so important to the western people, but are very happy, satisfied and peaceful people and are extremely good yogis. 

But that does not mean that you give up your comforts and you become godly. It is all a mental behaviour if you think by negation. It is not the way. But when you come to India, you understand that this habit of seeking comfort must be given up. 

If you have any, it is all right, but let not the comfort sit on your head. Let your spirit rule and not the idea that you should be comfortable or affluent. That idea should not rule you.


H. H. Shree Mataji Nirmala Devi

10 FEBRUARY 1983

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