Sunday, May 22, 2022

How to become centered - Agnya Chakra Blessing - Hindi Article

 परम पूज्य श्री माताजी की दिव्य वाणी 

आज्ञा चक्र पे जब कुण्डलिनी चढ़ती है और वहाँ के देवता जब जागृत होते हैं तो ये देवता हमारे दोनों ही Ego और Super Ego (अहंकार और प्रति अहंकार) जिसे कि मनस और अहंकार कहते हैं, दोनों को ही आपस में खींच लेते हैं, शोषित कर लेते हैं, यहाँ पर ब्रह्मरंध्र में तालू की जगह ऐसी जगह बन जाती है कि कुण्डलिनी खट से बाहर चली जाती है, उस वक्त हमारे हाथ बोलते हैं, हाथ, हाथ कहते हैं कि हाँ कुण्डलिनी पार कर चुकी है, जो लोग पार कर जाते हैं वही महसूस कर सकते हैं यहाँ की ठंडी हवा और जो नहीं होते हैं उनको मुश्किल होता है ठंडा हवा महसूस करना, उसके बाद आप इन ऊंगलियों पर जान सकते हैं कि हमारे किस चक्र में दोष है।

निर्विचार में आप किसी चीज की ओर देखें तो उसमें बसा हुआ आनंद, उसमें बसा हुआ सत्य जो निराकार स्वरूप है वो आपके अंदर ऐसा बहेगा जैसे कि पूरी की पूरी शक्ति प्रेम की आपके अंदर प्लावित होकर के बह रही है, आपको महसूस हो जिससे ऐसा लगेगा सारी दुश्चिंताऐं जाने कहाँ चली गई।

जब आप योगीजन हो जाते हैं, जब आप सहस्रार में विराजते हैं तब आप न भविष्य में और ना ही भूतकाल में, आप वर्तमान में रहते हैं और हर वर्तमान का क्षण अपना एक आयाम रखता है। 🧘🏻‍♀️😌

 

"सहस्रार और आत्मा" 

 भाग-2 

 16 फरवरी 1985 

 दिल्ली

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