Thursday, January 28, 2021

The State of Thoughtless Awareness

 Thoughtless Awareness


"निर्विचारिता बहुत ही सुंदर अवस्था है, जिसमें आप सबको रहना चाहिये। इस अवस्था में न तो आप किसी पर प्रभुत्व जमाते हैं और न आप किसी प्रकार का समझौता करते हैं। आप बस अपने पैरों पर खड़े होकर निश्चित रूप से यह जानते हैं कि आपको न तो किसी भी प्रकार का कोई विचार डिगा नहीं सकता है और न कोई आप पर किसी प्रकार का प्रभुत्व जमा सकता है। आप पूरी तरह से एक स्वतंत्र पक्षी की तरह से बन जाते हैं पूर्णतया एक पक्षी की तरह और फिर आपका कार्य सिर्फ उड़ान भरना मात्र रह जाता है...

एक उड़ान निर्विचारिता की ओर...

और दूसरी निर्विकल्प की ओर...

और तीसरी परमात्मा के साक्षात्कार की ओर"।

"मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, मुझे कुछ भी नहीं चाहिए।

मैं तो केवल ये चाहती हूँ कि आपको मेरी शक्तियाँ प्राप्त हों"। मैं मानती हूँ कि आप पूर्णतया मेरी तरह से नहीं बन सकते हैं परंतु कृपया मेरी सभी शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करें और ऐसा करना मुश्किल भी नहीं है। यही परमात्मा का साक्षात्कार है। यही श्री शिवजी या सदाशिव को जानना है। शिव के माध्यम से ही आप सदाशिव को जानते हैं। आप किसी परछाई को देखते हैं और उस परछाई से ही आपको पता चल पाता है कि परछाई का मूल स्त्रोत क्या है ? कौन है"?

"इस प्रकार से आप उस अवस्था में पहुँच पाते हैं जहाँ आप सोचते हैं कि आप परमात्मा के साम्राज्य में प्रवेश कर गये हैं या आप परमात्मा को देख सकते हैं, उनका अनुभव कर सकते हैं, उन्हें समझ सकते हैं और उन्हें प्रेम कर सकते हैं"।


परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी

सिडनी, 03-03-1996



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